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Ganesh Chaturthi Pooja Vidhi | Ganesh Chaturthi Date Vrat Hindi

 गणेश चतुर्थी 

भारत में कुछ त्यौहार धार्मिक पहचान के साथ-साथ क्षेत्र विशेष की संस्कृति के परिचायक भी हैं। इन त्यौहारों में किसी न किसी रूप में प्रत्येक धर्म के लोग शामिल रहते हैं। जिस तरह पश्चिम बंगाल की दूर्गा पूजा आज पूरे देश में प्रचलित हो चुकी है उसी प्रकार महाराष्ट्र में धूमधाम से मनायी जाने वाली गणेश चतुर्थी का उत्सव भी पूरे देश में मनाया ज

।। शीतला माता की लोक कथा।।

किसी गांव में एक औरत रहती थी। वह बासौड़े के दिन शीतला माता की पूजा करती और ठंडी रोटी खाती थी। उसके गांव में और कोई शीतला मां का पूजन नहीं करता था। एक दिन उस गांव में आग लग गई। जिसमें उस औरत की झोपड़ी छोड़कर सबकी झोपड़ियां जल गईं। जिससे सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। सब लोगों ने उस औरत से इस चमत्कार का कारण पूछा, उस औरत ने कहा कि मैं तो बासौड़े के दिन ठंडी रोटी खाती हूं और शीतला माता का पूजन क

।। शीतला अष्टमी ।। (बासोड़ा)

यह व्रत चैत्र कृष्ण अष्टमी या चैत्र मास के प्रथम पक्ष में होली के बाद में पड़ने वाले पहले शनिवार या वीरवार (गुरूवार) को किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से व्रत करने वाले के घर में (कुल में) दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गन्ध, फोड़े, नेत्रों के समस्त रोग, शीतला के फुंसियों के चिन्ह तथा शीतला जनित दोष दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से शीतला देवी प्रसन्न होती है।

।। होलिकोत्सव-धुलैण्डी-छारंडी।।

होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्र कृष्णा की प्रतिपदा को भक्तों ने प्रहलाद की रक्षा का प्रत्यक्ष अनुभव कर बड़ा उत्सव मनाया। अबीर गुलाल उड़ाया तथा एक-दूसरे से मिलकर उत्सव का अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। जहां-जहां भी भारत भूमि में भक्त हैं। इस उत्सव को रंग खेलकर बड़े आनन्द से मनाते हैं। औश्वपच चाण्डाल सभी में भगवद् दर्शन बड़े प्रेम से छाती से छाती मिलाकर मिलते हैं। इस दिन राक्षस भी

।। होलिका उत्सव ।।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका उत्सव मनाया जाता है। भविष्य पुराण में युधिष्ठिर जी के प्रश्न पर श्री कृष्ण ने रघु के प्रति जो वचन हैं उनको सुनाया है। वशिष्ठ जी बोले-हे राजन फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा के दिन सब मनुष्यों को अभय दे दीजिये। वशिष्ठ जी ने कहा इस दिन बालक निर्भय होकर काठ के टुकड़े लेकर चले जायं। बीच में प्रह्लाद स्वरूप् गड़े स्तम्भ के चारों तरफ लगा दें। उपलों का

।। शिवरात्रि की महिमा ।।

प्राचीन काल में एक भील अपने परिवार के साथ रहता था। उसका नाम गुरूदु्रह था। उसका कर्म-चोरी एवं वन में पशुओं का वध करना था। इसी प्रकार कर्म में लीन रहते एक बार शिवरात्रि का पर्व आया। उस दिन उस पापी के घर खाने को कुछ भी नही था।

उसके परिवार के लोग एवं माता-पिता आदि सभी भूखे थे सब ने उससे कहा-हम भूखें हैं, कुछ खाना लाओ। तब वह धनुष बाण ले शिकार करने वन की ओर चला। भाग्य की बात, उस दिन शाम तक जं

।। महाशिवरात्रि व्रत ।।

यह व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन होता है। शिवरात्रि का अर्थ वह रात्रि है, जिसका शिव तत्व के साथ घनिष्ठ संबंध है। भगवान् शिव जी की अतिशय प्रिय रात्रि को शिव रात्रि कहते हैं। शिवार्चन और रात्रि जागरण ही इस व्रत की विशेषता है। इसमें रात्रि भर जागरण एवं रूद्राभिषेक का विधान है। पार्वती के पूछने पर भगवान शिव जी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिवरात्

।। माघी पूर्णिमा ।।

माघ शुक्ला पूर्णिमा को प्रयाग राज में एक मास का कल्पवास पूर्ण होता है। जो एक मास गंगा स्नान न कर सके, तो पूर्णिमा को ही सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। तिल कल्बल आदि का दान करें तो महत् पुण्य की प्राप्ति होती है। इस प्रकार माघ महीने में गंगा स्नान एवं दान आदि धर्म से पितरों को एवं देवताओं को अक्षय तृप्ति होती है।

।। भीष्माष्टमी ।।

भीष्माष्टमी माघ मास की शुक्लाष्टमी को मनाया जाता है। इस तिथि को भीष्म जी का तर्पण एवं श्राद्ध करें। मद्रास तमिलनाडु में पुत्र प्राप्ति के लिये श्राद्ध तर्पण करते हैं। उनके मन की अभिलाषा भी पूर्ण होती है। इस दिन अगर भीष्म पितामह को अर्ध्य तथा तर्पण न करें तो दोष लगता है। इस दिन तर्पण अवश्य करना चाहिये।

।। रथ सप्तमी ।। (पुत्र सप्तमी)

माघ शुक्ला सप्तमी को पाप का निवारण तथ पुत्र प्राप्ति के लिये रथ सप्तमी का व्रत करना चाहिए। तालाब, नदी या तीर्थ में जाकर ईख के डण्डे से जल को हिलाकर मस्तक पर पांच पत्ते आक के तथा पांच पत्र बेर के सिर पर रखकर सप्तमी को स्नान करें।

यह मन्त्र बोले -

यज्जन्म कृतं पापं मया सप्तसु