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किसी गांव में एक औरत रहती थी। वह बासौड़े के दिन शीतला माता की पूजा करती और ठंडी रोटी खाती थी। उसके गांव में और कोई शीतला मां का पूजन नहीं करता था। एक दिन उस गांव में आग लग गई। जिसमें उस औरत की झोपड़ी छोड़कर सबकी झोपड़ियां जल गईं। जिससे सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। सब लोगों ने उस औरत से इस चमत्कार का कारण पूछा, उस औरत ने कहा कि मैं तो बासौड़े के दिन ठंडी रोटी खाती हूं और शीतला माता का पूजन करती हूं। तुम लोग यह काम नहीं करते थे। इसी पूजन के प्रभाव से मेरी झोपड़ी बच गयी और तुम सब की झोपड़ियां जल गई। तब से बसौड़े के दिन पूरे गांव में शीतला माता की पूजा होने लगी।
पूजन करने वाले को चाहिये कि शीतला माता की पूजा करने के उपरांत इस प्रकार से प्रार्थना करनी चाहिए। हे शीतला माता जैसे आपने उस औरत की रक्षा की वैसे ही सबकी रक्षा करना।
वन्देहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनी कलशो पेतां शूर्पालङ्कृत मस्तकाम्।।