All the Shyam devotees are welcome at our website www.babakhatushyam.com. On this page, you will find the full faith and devotional of Baba Khatushyam and know about khatumela. So come and go deep in the devotion of Baba.
बर्बरीक जिन्हें शीश के दानी के नाम से संसार पूजता है। बर्बरीक के परित्याग (बलिदान) से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण भगवान ने बर्बरीक को अपने नाम से संबोधित किया जिसे आज हम खाटूश्याम के नाम से जानते एवं पूजते हैं। फाल्गुन (मार्च) मेला बाबा खाटूश्याम जी का मुख्य मेला है। फाल्गुन माह में शुक्ल ग्यारस (एकादशी) को यह मेला का मुख्य दिन होता है। यह मेला षष्ठी से द्वादशी तक लगभग 8 दिनों के लिये आयोजित होता है। कार्तिक एकादशी को श्रीखाटूश्याम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी, झूल-झुलैया एकादशी, होली एवं बसंत पंचमी आदि त्यौहार पूरे धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
यहां पर आये हुये लाखों भक्त इस मेला में शामिल होकर बाबा श्री खाटूश्याम की भक्ति अराधना एवं भजन संध्या आदि करते हैं। कुछ भक्तगण तो होली तक यहां पर रूकते हैं और होली के दिन बाबाश्याम के संग होली खेलकर अपने घर प्रस्थान करते हैं।
फाल्गुन मेला- फाल्गुन मेला बाबा खाटूश्याम जी का मुख्य मेला है। यह मेला फाल्गुन मास (मार्च) में तिथि के आधार पर षष्ठी से बारस तक 8 दिनों के लिये आयोजित किया जाता है। फाल्गुन मास की शुक्ल ग्यारस को मेले का मुख्य दिन होता है। देश-विदेश से आये हुये सभी श्रद्धालु बाबा खाटूश्याम जी का श्रृद्धापूर्ण दर्शन करते हैं और दर्शन करने के पश्चात् भजन एवं कीर्तन का भी आनन्द लेते हैं। भजनसंध्या में तरह-तरह के कलाकार आते हैं जो रातभर भजन एवं कीर्तन करते हैं। फाल्गुन मास में अधिकतम संख्या में लाखों भक्तगण दर्शन के लिये आते हैं। भक्तों की लाखों की संख्या को देखते हुये प्रशासन की तरफ उचित व्यवस्था की जाती है ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। इसके अलावा खाटूनगरी में बहुत सारी धर्मशालायें, पार्किंग तथा होटलों की भी व्यवस्था है। कुछ होटल तो बाबा के नाम से जाने जाते हैं जैसे राधेश्याम होटल, मोर्वी होटल एवं लखदातार इत्यादि।
निशान यात्रा- हर देश से श्रद्धालु खाटूनगरी में बाबा के दर्शन के लिये आते हैं जिनमें कुछ श्रद्धालु ऐसे हैं जो रिंगस से पदयात्रा (निशान यात्रा) करते हुये बाबा के धाम जाते हैं। निशान यात्रा करते समय भक्तगण बाबा खाटूश्याम जी का ध्वजा/नारियल के साथ-साथ बाबा जी की झांकी भी निकालते हैं। झांकी को पूरे हर्षोल्लास एवं बैण्ड बाजे के साथ निकाली जाती है। कुछ श्रद्धालु तो दण्डवत परिक्रमा करते हुये बाबा के मंदिर आते हैं। इस शोभायात्रा के दौरान बहुत सारी अतिशबाजी के साथ-साथ भक्तों को जगह-जगह प्रसाद वितरण भी किया जाता है।
खाटूश्यामजी मंदिर के शिखर पर सूरजगढ़ का निशान ही क्यों चढ़ता है ?
सूरजगढ़ निशान को शिखर बंद पर चढ़ाये जाने के पीछे एक अमर गाथा जुड़ी है। आज से कुछ वर्षों पहले फाल्गुन शुक्ला द्वादशी को खाटू धाम में कई स्थानों से आये भक्तों में सबसे पहले शिखर बंद पर निशान चढ़ाने की होड़ मच गई थी। जबकि सूरजगढ़ का निशान पुराने समय से चढ़ता आ रहा था। लेकिन उसके बावजूद दूर-दूर से आये सभी भक्तगण अपनी-अपनी जिद्द पर अड़े रहे।
तृतीया: रविवार 2 मार्च 2025
चतुर्थी: सोमवार 3 मार्च 2025
पंचमी: मंगलवार 4 मार्च 2025
सष्ठी: बुधवार 5 मार्च 2025
सप्तमी: गुरूवार 6 मार्च 2025
अष्टमी: शुक्रवार 7 मार्च 2025
नवमी: शनिवार 8 मार्च 2025
दशमी: रविवार 9 मार्च 2025
ग्यारस: सोमवार 10 मार्च 2025
बारस: मंगलवार 11 मार्च 2025
मेले के दौरान श्याम मंदिर तक आने के लिये प्रशासन ने रींगस रोड से सरकारी पार्किंग से बिजली ग्रिड, खटीकान मोहल्ला, केहरपुरा तिराहे से लामिया तिराहे से रावण टीबे के पास की चारागाह भूमि पर बने जिगजैग में से होकर कुमावतों के खेत में से होकर श्री श्याम बगीची के पास स्थित मुख्य मैला मैदान में बने जिगजैग से होकर श्री श्याम मंदिर में प्रवेश करना होगा।
बाबा श्याम के दर्शन को खाटूधाम आने के सड़क, रेल और वायु मार्ग है। जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट से देश सहित विदेशों की उड़ाने हैं। जहां से 100 किमी दूरी से टेक्सी के जरिए आया जा सकता है।
वहीं जयपुर, रींगस और सीकर रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। मेले में रेल प्रशासन की ओर से अतिरिक्त रेल चलाई जाती हैं। दिल्ली से सड़क मार्ग से गुडग़ाव, कोटपूतली, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर से रींगस होते हुए बस व कार से खाटू आया जा सकता है।
इसके अलावा सीकर, दांतारामगढ, रेनवाल से भी सड़क मार्ग से खाटू सीधा पहुंचा जा सकता है।
यदि आप अलग-अलग राज्यों से आते हैं तो नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करके अपने राज्य का नाम डालें और पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।