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17.07.2024-Wednesday(Krishna Paksha)
भगवान कृष्ण बोले- हे धर्म पुत्र ! अधिक (लौंद) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम परमा है। उन महात्म्य की कथा ऐसे है- कम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री का नाम पवित्रा था, वह पतिव्रता था, अतिथि सत्कार भी करती थी। आप भूखी रह जाती थी, कारण कि सुमेधा ब्राह्मण दरिद्र था। एक दिन कौणिन्य मुनि उनके घर आये। पति और पत्नी ने उनका श्रद्धा भक्ति से पूजन किया और दरिद्रता के नाश करने का उपाय पूछा। कौणिन्य मुनि बोले दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय सही है कि तुम दोनों मिलकर लोंद का मास कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करो, रात्रि को जागरण कर बिगड़ी प्रारब्ध को संचार लो। यज्ञ राजा कुबेर ने परमा एकादशी का व्रत किया तो भगवान शंकर ने उसे भण्डारी बना दिया। पांच रात्रि व्रत इसके उत्तम हैं तत्काल फल देने वाला है। ऐसा कहकर मुनि चले गए और ब्राह्मण-ब्राह्मणी ने परमा एकादशी का अमावस को व्रत किया। प्रातः समय पड़वा के दिन एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उनको एक उत्तम गृह रहने को दिया और ग्राम भी उनके नाम लगाकर चला गया। इस परमा एकादशी का महात्म्य सुनने से इस लोक में अनन्त सुख भोग कर अन्त में इन्द्र लोक को जाता है लौंद मास की एकादशी अति श्रेष्ठ है।
फलाहार- सागार जिस महीने में यह एकादशी आवे, उसी महीने के अनुसार लेना चाहिए।