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14.10.2024-Monday(Shukla Paksha
श्री कृष्ण जी बोले- हे युधिष्ठिर ! आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पाशांकुशा है। यदि इसके व्रत में श्रद्धा भक्ति सहित भगवान विष्णु का पूजन किया जाये तो मन वांछित फल प्राप्त होती है। इस लोक में सुन्दर स्त्री, पुत्र और धन सर्व सांसारिक सुख मिलते हैं, अन्त में वह आप भी स्वर्ग को जाता है और उसके मातृ पक्ष के दस पुरूष तथा स्त्री पक्ष के दस पुरूष विष्णु जी का स्वरूप होकर बैकुण्ठ को जाते हैं। इस एकादशी से एक दिन पहले भगवान राम ने रावण का वध किया था चाहे रावण का स्वाभाव तथा कर्म राक्षसों का सा था, परन्तु वंश तो ब्राह्मण का था। अतः ब्रह्म हिंसा के दोष निवार्णार्थ मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने पाशांकुशा एकादशी का व्रत किया लक्ष्मण जानकी तथा भालू बन्दरों ने भी उपवास किया और पाप रहित हो गये। राजसूय यज्ञ और अश्वमेघ यज्ञ हजारों करो परन्तु एक पाशांकुशा एकादशी के तुल्य नहीं।
फलाहार- इस दिन सावां मलीचा (मुन्यन्न) का सागार होता है।