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14.09.2024- Saturday (Sukla Paksha)
श्री कृष्णजी बोले- हे युधिष्ठिर ! भादों शुक्ला पक्ष की एकादशी का नाम वामन जयन्ती तथा परिवर्तिनी है। उसमें वामन भगवान की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु शयन मन्दिर में करवट बदलते हैं। इस कारण इसका नाम परिवर्तिनी है। इसके महात्म्य की कथा ऐसे है-त्रेता युग में प्रहलाद का पौत्र राजा बलि राज्य करता था। ब्राह्मणों का सेवक था, भगवान विष्णु का भक्त था, इन्द्रादिक देवताओं का शत्रु था। अपने भुज बल से देवताओं को विजय कर स्वर्ग से निकाल दिया। देवताओं को दुखी देखकर भगवान ने बावन उङल का स्वरूप धारण किया और बलि के द्वार पर आकर कहा मुझे तीन पग पृथ्वी का दान चाहिए, बलि राजा बोले-तीन लोक दे सकता हूँ विराट रूप धारण कर दो पग में नाप लिया। तीसरा पग उठाया तो बलि ने सिर नीचे घर दिया। प्रभु ने चरण धर कर दबाया तो पाताल लोक में चला गया। जब भगवान चरण उठाने लगे तो बलि ने हाथ से पकड़कर कहा- इन्हें मैं मन मन्दिर में धरूंगा। भगवान बोले यदि तुम बावन एकादशी का विधि सहित व्रत करो तो मैं आपके द्वार पर कुटिया बनाकर रहूंगा। अतः बलि राजा ने बावन एकादशी का व्रत विधि सहित किया। तब से भगवान की एक प्रतिमा द्वारपाल बनकर पाताल में और एक क्षीर सागर में निवास करने लगी।
फलाहार- इस दिन वामन भगवान को पूजा करनी चाहिए। इस दिन ककड़ी का सागार लेना चाहिए।