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Baba Khatu Shyam Ekadashi

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Aja Ekadashi Vrat Katha and Vrat Vidhi in Hindi


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29.08.2024- Thursday(Krishna Paksha)

भगवान कृष्ण बोले- हे धर्मपुत्र ! भादों मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अजा है। इसका महात्म्य गौतम मुनि ही जानते हैं, जिसने युगों का परिवर्तन कर दिया था। कथा इसकी ऐसे है- सूर्य वंश में 31वीं पीढ़ी पर राजा हरिश्चन्द्र अयोध्या नगरी में हुआ था। उसके द्वार पर एक श्यामपट लगा था, जिसमें मणियों से लिखा हुआ यह लेख था- इस द्वार में मुंह मांगा दान दिया जाता है। विश्वामित्र ने पढ़कर कहा, मणियों का लेख मिथ्या है। हरिश्चन्द्र ने उत्तर दिया, परीक्षा कर लो। विश्वामित्र बोले- राज्य अपना मुझे दे दो। हरिश्चन्द्र बोले- राज्य आपका है, और क्या चाहिए ? विश्वामित्र बोले- दक्षिणा भी तो लेनी है। राहु केतु था शनिश्चर की पीड़ा भोगनी सहज है, साड़सती का कष्ट भी सुगम है, मेरी परीक्षा में पास होना बड़ा कठिन है। आपको मुर्दे जलाने पड़ेंगे, तेरी रानी को दासी बनना पड़ेगा। यदि इन अत्याचारों का आपको भय नहीं तो जय गणेश करके हमारे साथ काशी में चलो। राजा ने धर्म का सत्कार किया, आप भंगी के सेवक बने, रानी दासी हो गई, पुत्र को नाग बनकर डस लिया। ऐसी आपत्ति में भी उसने सत्य का त्याग न किया, परन्तु मन में शोक की अग्नि भड़क उठी। उस समय गौतम मुनि के दिल में दया आई। राजा हरिश्चन्द्र के पास आकर कहा, तुम अजा एकादशी का विधि पूर्वक एक व्रत करो समस्त संकट दूर हो जायेंगे ऐसा कहकर गौतम मुनि अन्तर्ध्यान हो गए। राजा ने विधि सहित अजा एकादशी का व्रत किय। उसके प्रभाव से स्वर्ग में जयकार शब्द हुआ। अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इन्द्रादिक देवताओं को खड़े देखा, पुत्र को जीवित तथा अपनी स्त्री को आभूषण सहित देखा अयोध्या में आकर एकादशी का पूर्ण सत्कार किया। उसके राज में बालक वृद्ध सब एकादशी का व्रत करते थे। एकादशी व्रत के प्रभाव से प्रजा सहित अन्त में स्वर्ग को प्राप्त हुये। इस कथा के महात्म्य का फल अश्वमेघ यज्ञ के समान है।

फलाहार-इस दिन बादाम और छुआरे का सागार होता है।