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Baba Khatu Shyam Ekadashi

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Nirjala Ekadashi Vrat Katha and Vrat Vidhi in Hindi


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18.06.2024 Tuesday (Shukla Paksha)

व्यास मुनि के पास जाकर भीमसेन ने पुकार की कि मेरी पूज्य माता कुन्ती व पूज्य भ्राता युधिष्ठिर तथा अर्जुन, नकुल, सहदेव द्रोपदी सहित एकादशी का व्रत करते हैं और मुझे भी शिक्षा देते हैं कि अन्न मत खा, नरक में जाएगा। आप विचारिये मैं क्या करूं ? 15 दिन के बाद यह एकादशी आ जाती है और हमारे घर में झगड़ा उत्पन्न हो जाता है मेरे उद्धर में अग्नि का निवास है, उसे अन्न की आहुति न दूं तो चर्बी को चाट जाएगा। शरीर की रक्षा करना मनुष्य का परम धर्म है। अतः आप ऐसा उपाय बतलाइये जिसमें साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे अर्थात ऐसा व्रत हो जो वर्ष में एक दिन करना पड़े और मन में व्याधियों का विनाश करने वाला हो। 24 एकादशियों का फल उसके करने से मिल जाये और मुझे स्वर्ग में सम्बन्धियों के साथ ले जाये व्यास जी बोले- ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम निर्जला है। ठाकुर जी का चरणों दक वर्जित नहीं, कारण कि वह तो अकाल मृत्यु को हरण करने वाला है। जो निर्जला एकादशी का व्रत श्रद्धा सहित करता है उसे 24 एकादशियों का फल मिलता है, निश्चय स्वर्ग को जाता है। व्रत में पितरों के निमित्त पंखा, छाता कपड़े का जूता सोना चाँदी या मिट्टी का घड़ा और फल इत्यादि दान करें, जल का प्याऊ लगा दे हाथ स्मरणी रखें, मुख से (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) इस द्वादस अक्षरे महामन्त्रयही हैं। श्रीमद भागवत पुराण का सार है। आप यदि फलाहारी हो तो ध्रुव के प्रथम मास की तपस्या के तुल्य उसके एक-एक दिन के समान आपका फल हो गया। यदि आप पवन अहारी आज रह सको तो धु्रव का षटवें मास की तपस्या के समान फल होगा। श्रद्धा को पूर्ण रखना, नास्तिक का संग न करना, दृष्टि में प्रेम का रस भरना, सबको वासुदेव का रूप समझकर नमस्कार करना किसी के दिल की हिंसा न करना, अपराध करने वाले का दोष क्षमा करना, क्रोध का त्याग करना, सत्य भाषण करना। जो हृदय में प्रभु की मूर्ति का ध्यान करते हैं और मुख से द्वादश अक्षरे मन्त्र का ज्ञान करते हैं वह पूर्ण फल हो प्राप्त करते हैं। दिन भर भजन करना चाहिए, रात्रि को रामलीला, कृष्णलीला कीर्तन के सहारे जागरण् करना चाहिए। द्वादशी के दिन प्रथम ब्राह्मणों को दक्षिणा दें, फिर भोजन खिला कर उनकी परिक्रमा कर लें। अपने पग-पग का फल ब्राह्मणों से, अश्वमेघ यज्ञ के समान हो, वर मांग ले। ऐसी श्रद्धा भक्ति से व्रत करने वाला कल्याण को प्राप्त होता है। जो प्राणी मात्र को वासुदेव की प्रतिमा समझता है, उसको मेरी कलम लाखों प्रणाम के योग्य कहती है, निर्जला का महात्म्य सुनने से दिव्य चक्षु खुल जाते हैं, प्रभु घूंघट उतारकर मन के मन्दिर में प्रकट दिखाई देते हैं इस एकादशी को सिफती नाम पाण्डवी या भीम सैनी भी कहा जा सकता है।

फलाहार- इस दिन कैरी का सागार लेना चाहिए।