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कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यदि अमावस्या आ जावे तो चतुर्दशी को, न आवे तो अमावस्या को दीपावली महोत्सव मनाना चाहिए। वामन भगवान ने आज के दिन सब देवों एवं लक्ष्मी को बलि राजा के कारागार से मुक्त किया था। अतः सूर्याप्त के समय अमावस्या में प्रदोष के समय देवताओं इन्द्र कुमार एवं लक्ष्मी पूजन करना चाहिए तथा तीन रात्रि तक कमल शय्या बनाकर लक्ष्मी जी को शयन कराना चाहिए। इससे लक्ष्मी स्थिर हो जाती है।
सनत्कुमार संहिता में लिखा है -
बलिकारागृहाद्देवा लक्ष्मीश्चापि विमोचिता।
लक्ष्म्यासार्धं ततो देवा नीताः क्षारोदधौपुनः।।
तत्र सम्पूजये लक्ष्मीं देवांश्चापि प्रपूजयेत्।
तद्न्हि प्रद्यशय्यां यः पद्मा सौख्यं विवृद्धये।
कुर्यात्तस्य गृहं मुक्त्वा तत्पद्मा क्वापिनं ब्रजेत्।।
आज के दिन दिनभर व्रत करके सायं दीपावली पूजन करने से भोजन करने से लक्ष्मी जी की बड़ी कृपा होती है। जो व्यक्ति आलस्य या करने से लक्ष्मी जी की बड़ी कृपा होती है। जो व्यक्ति आलस्य या प्रमाद बस दीपावली महोत्सव नहीं मनाता वह मनुष्य जन्मजन्मान्तर तक दरिद्री होता है। इसी दिन गणेश, वशनापूजन, महाकाली (दावात्) पूजन, लक्ष्मी पूजन, महासरस्वती (बही खाता) पूजन एवं दशदिक्पाल, कुबेर आदि का पूजन करते हैं। महाकाली पूजन से रोग की निवृत्ति जीवन रक्षा होती है। महालक्ष्मी पूजन से सुख सम्पत्ति शांति की प्राप्ति होती है। तथा सरस्वती पूजन से बुद्धि का योग प्रत्येक में ठीक-ठीक होता है। समय-समय पर बुद्धि से सब कार्य सफल होते हैं। दीपावली उत्सव से पहले घर की कूड़ा आदि निकाल दिया जाता है, घर को स्वच्छ बनाया जाता है ऐसा करने से मन में नूतन उत्साह जागृत होता है। पूजन के पश्चात् बड़े-बड़े थाल में 21 या 51 दीपक तेल के तथा एक बड़ा दीपक थाल के बीच में घी का रखें उसे प्रज्जवलित करके धान की खील बताशा से पूजन करें। एवं लक्ष्मी जी की आरती उतारे। घर में सब जगह गोशाला भंडार गृह चौका छत पर तथा गृह द्वार पर जलते हुए दीपक सजा कर रखें। आज के दिन दीपक प्रकाश से जीवन में उत्साह तथा उन्नति के मार्ग प्रकाशमय दिखाई देते हैं।