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पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में ‘‘लोहड़ी” के नाम से मकर संक्रान्ति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिये लोहिता नाम की एक राक्षसी को गोकुल भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहिणी का पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज भी मकर संक्रान्ति के एक दिन पूर्व इसे ‘‘लाल लोही” के रूप में मनाता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर-संक्रान्ति के दिन सूर्य के एक राशि में हुए परिवर्तन को अन्धकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। मकर संक्रान्ति से दिन बढ़ने लगता है। और रात्रि की अवधि कम हो जाती है। स्पष्ट है कि दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा। और रात्रि छोटी होने से अन्धकार की अवधि कम होगी। यह सभी जानते हैं कि सूर्य ऊर्जा का अजस्र स्रोत है इसके अधिक देर चमकने से प्राणि जगत् में चेतनता और उसकी कार्य शक्ति में वृद्धि हो जाती है। इसलिए हमारी संस्कृति में मकर संक्रान्ति पर्व मनाने का विशेष महत्व है।
।। इति मकर-संक्रान्ति-लोहिड़ी पर्वः।।