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एक मत से - कार्तिक शुक्ला नवमी से एकादशी तक तुलसी विवाह मनाते हैं। एक मत से कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी जी का विवाह मनाते हैं।
सर्वमान्य देवोत्थापिनी एकादशी को ही तुलसी जी का विवाह शालग्राम भगवान् से करना चाहिए।
अतः कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी जी का विवाह शालग्राम शिला से कराना चाहिए। 2-3 महीने पहले तुलसी वृक्ष को गमले में लगानी चाहिए। तथा प्रतिदिन जल से सींच गंध, पुष्प से पूजन करना चाहिए। फिर का. शु. ए. से का. शु. पूर्णिमा तक किसी दिन भी जैसे अपनी कन्या का विवाह करते हैं वैसे ही गमले को गेरू से पोतकर सजाकर तुलसी जी को साड़ी पहनाकर मेंहदी रोली अर्पण करें। तथा सांयकाल में ईख से मण्डल तैयार करें। मन प्रसन्न कर उत्साह पूर्वक भगवान नारायण से प्रार्थना करें।
आगच्छ भगवान्देव अर्चयिष्यामि केशव ।
तुभ्यं ददामि तुलसीं सर्वकाम प्रदोभव।।
हे भगवान् पधारिये मैं आपकी पूजा करूंगा तथा आपको तुलसी अर्पण करूंगा। आप मेरी सब कामना पूर्ण करिये। इसके पश्चात् विद्वान ब्राह्मण के द्वारा विवाह विधि से पाद्य, अर्ध्य, मधुपर्क आदि से पूजा करें। तथा कन्यादान, शाखोच्चार, मंगलाष्टक करें। अग्नि स्थापन, हवन करके अग्नि की तुलसी जी को आगे कर 1 प्रदशिणा एवं शालग्राम जी को आगे कर 3 प्रदशिणा करें। तथा विवाह विधि पूर्ण करें। एवं भगवान का तिलक कर सदक्षिणा भगवान् को तुलसी जी अर्पित करें। सब विधि पूर्ण करें। इस प्रकार शालग्राम जी के साथ तुलसी जी का विवाह करने वाला भगवान के धाम में प्रभु का सान्निध्य प्राप्त कर आनन्द प्राप्त करता है।