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इसी नवमी को आँवला के वृक्ष के जड़ के पास बैठकर ‘‘धात्र्यै नमः” कहकर आह्वान करें। जल से पाद्य से अर्ध्य से आचमन आदि के निमित्त वृक्ष के मूल में जल चढ़ायें। फिर दूध की धारा दें। दूध के पश्चात् पुनः जल चढ़ायें। फिर मन्त्र उच्चारण पूर्वक सूत्र (धागा) लपेटे।
मन्त्र-
दामोदर निवासायै धात्र्यै देव्यै नमोनमः।
सूत्राणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तुते।।
चन्दन, पुष्प, धूप, नैवेद्य आदि से पूजन करके आरती एवं परिक्रमा करें। धात्री मूल जल को नेत्रों में लगावे और प्रणाम करें। आज के दिन भोजन में आंवला अवश्य होना चाहिए तथा आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं प्रसाद ग्रहण करें।