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एक दिन कन्हैया बाबा नन्द एवं मैया यशोदा के सामने मचल गये। अब मैं बड़ा हो गया, गैया चराऊँगा। माँ ने समझाया-लाला बड़ी-बड़ी सींग वारी गैया मरखनी होंय। लाला तू अभी छोटो है, गर्ग जी से मुहूर्त निकलवाय के गौपूजन के पश्चात् तोय गाय चराइबे जान देंगे। प्रभु प्रेरणा से गर्ग ऋषि सामने से आते हुए दिखाई दिये। नन्दाबाबा ने कहा-महाराज 2-4 वर्ष बाद कोई अच्छा मुहूर्त निकाल देना। पंचांग देख लीजिए। गर्ग जी नन्द बाबा की बात भूल गये। पंचांग देखकर बोले-आज कार्तिक शुक्ला अष्टमी का मुहुर्त सर्वश्रेष्ठ है। आज गौ पूजन से गौ माता की कृपा से वृज के सब संकट दूर होंगे। बड़े हर्ष से गौ पूजन किया। लाला को तिलक कियो। आज कन्हैया गोचारण के लिए गोपाल बनकर चले। मैया ने कहा लाला पैरों में पगरसी (जूती) पहन ले वन में कांटे कंकड़ बहुत होते हैं। लाला ने बहुत सुन्दर जवाब दिया। माँ मेरो देवता गाय जिनकी सेवा के लिये जा रहा हूं, वो सब नंगे पैर जा रहीं है, तब मैं कैसे पहन सकता हूं।
माँ सेवा धर्म बड़ा कठिन है, प्रभु ने पादुकाओं को पहनना अस्वीकार कर दिया। गौ माता की सेवा में प्राण न्यौछावर करने के लिये सदा प्रसन्न रहते थे। इन्द्र कोप करके आया। लाला ने गोवर्धन धारण कर सभी की रक्षा की। इन्द्र ने लाला श्याम सुन्दर के प्रभाव को समझा गौमाता को आगे कर क्षमा मांगने आया। गौ माता को देख कृष्ण का कोप शान्त हो गया। कामधेनु सुरभि माता ने स्तनों के दुग्ध से श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उन्हें गोविन्द की उपाधि दी। माँ के अश्रु देख। गौमाता से बोले-माँ इतनी अधीर क्यों हो-गौ माता ने कहा लाला अब गौ रक्षा का भार तुम्हीं सम्हालो। श्री कृष्ण ने कहा-माँ क्यों-गौमाता ने कहा-लाला अब द्वापर के पश्चात् कलियुग आने वाला है। हिरण्य कश्यम ने सिंहासन पर बैठते ही कहा था-सारे गोप और गौशालाओं को नष्ट कर दो। कोई राम नाम न लेवे पावें, यज्ञ, पूजा, पाठ सब बन्द कर दो। प्रभो हिरण्यकश्यप के वंशज-गौ वधशाला, (कसाई खाना) खोलेंगे। पृथ्वी पाप के भार से दबती है। तब पृथ्वी गौ का रूप धारण कर दया की पात्र बन कर देवों के साथ अवतार लेने के लिये प्रार्थना करती है, तब आपका अवतार होता है, त्रेता में एक पृथ्वी पुत्री सीता का अपहरण हुआ था। कलियुग में घर-घर रावण हो जायेंगे तथा कंस के ससुर जरासंघ के मानव पुत्र नगर में गाय को रहने ही नहीं देंगे। कुत्ते के लिए कोई रोक नहीं होगी, कुत्ते को प्रत्येक घर में सम्मान दिया जायेगा। आपको गोविन्द (गांविन्दति) गौ रक्षक की उपाधि प्रदान की है। आप कृपा करके समय-समय पर किसी को महान् पुरूष बनाकर उनके हृदय में प्रेरणा करके गौ रक्षा कराइयेगा। यही आपसे मेरी विनती है। इस दिन प्रत्येक मानव समाज का धर्म बनता है कि गौ पूजन कर गोपालन एंव गौ रक्षा का संकल्प लें।
प्रार्थना - नमो गोभ्यः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च। नमो ब्रह्म सुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः। गवांअङ्गेषु तिष्ठन्ति भुवनानि चतुर्दशं। यस्मात्त्स्माच्छिवं से स्यादिह लोके परत्र च।।