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कार्तिक शुक्ला अष्टमी को यह दिव्य पर्व मनाया जाता है। गौमाता के शरीर में सब देवता तथा गोबर में लक्ष्मी और गौमूत्र में गंगा जी का निवास है। अतः गौ पूजन से हमारा जीवन परम पवित्र होता, गौ माता की कृपा से समस्त शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन गौ माता की पूजा करके गुड़ चने की दाल एवं मिष्ठान खिलाना चाहिए तथा मेंहदी या रंग से शरीर को जगह-जगह रंग कर सजाकर उनकी चरण धूलि मस्तक पर धारण कर सच्चे हृदय से प्रार्थना करनी चाहिये।
गावो में अग्रतः सन्तु गावो में सन्तु पृष्ठतः।
गावो में सर्वतः सन्तु गवां मध्ये वसाभ्यहम्।।
गौ माता दर्शन देने के लिए मेरे सम्मुख हों, वह मेरी रक्षा मेरे पीछे हो, मेरे चारों ओर गौ माता हो। गौ माता साक्षात् वात्सल्य स्नेह की दिव्य मूर्ति है। हमको दूध पिलाती है, तथा गायों के बीच वास करता हूं। घर में गाय अवश्य रखनी चाहिए। मानव जीवन का धर्म है। यदि घर में गाय न हो तो वहां जाकर जहां गौ हो निश्चित रूप से पूजन करना चाहिए। गौशालाओं में यथाशक्ति घास चारा दान करें और चरवाहों को भी संतुष्ट करें। जो गौ पूजन करता है उसे इस संसार में सभी सुख प्राप्त होते हैं।