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कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को सायंकाल में घृत का दीपक जलाकर सपरिवार-धान की खीली तथा बताशा रोली चावल आदि से दीपक का पूजन करें। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती है। फिर घर के बाहर आकर गोबर से चौका लगाकर चावल रख कर उसके ऊपर तिल के तेल का दीपक रखकर पूजन करें और श्रद्धाभाव से यमराज की प्रसन्नता के लिये यह दीप अर्पण करें। इससे दुर्मृत्यु का नाश होता है तथा यमराज एवं पितर गण प्रसन्न होते हैं। उनको प्रकाश दिखाई पड़ता है। इस मन्त्र से प्रार्थना करें।
मन्त्र -
मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति।।
पाश हाथ में लिये हुए काल रूपयम पत्नी के सहित त्रयोदशी में दीप दान से सूर्य पुत्र यमराज प्रसन्न हों। इस समय विप्र को छाता पादुका देने का फल है।
नोट - इस दिन लोग बाजार से स्वर्ण आभूषण या बर्तन आदि जो जिसकी समर्थ्यता है, उसी आधार पर कुछ न कुछ खरीद कर घर पर लेकर प्रति वर्ष आते हैं।