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।। अन्तरा ।।
आ गया दर पे तेरे सुनाई हो जाए
जिंदगी से दुःखों की विदाई हो जाए
एक नजर कृपा की डालो ‘मानूंगा एहसान’-2
संकट हमारा कैसे टलेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा ....।।1।।
सुना हमने सभी से खिवैया एक ही है
घूम ले सारी दुनिया कन्हैया एक ही है
अब की, अब की, पार लगाओगे ‘‘मानूंगा एहसान’’-2
हमको किनारा कैसे मिलेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा................।।2।।
पानी है सर से ऊपर मुसीबत पड़ गई है
आज हमको तुम्हारी जरूरत पड़ गई है
अपने हाथ से हाथ पकड़ लो, ‘मानूंगा एहसान’-2
साथ हमारे कौन चलेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा............।।3।।
तुम्हारे दर पे शायद हमेशा धर्मी आते
आज पापी आया है श्याम काहे घबराते
हमने सुना है तेरी नजर में ‘‘सब है एक समान’’-2
इसका पता तो आज चलेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा............।।4।।
वो तेरे भक्त होंगे जिन्हें तुमने है तारा
बता ए मुरली वाले कौन-सा तीर मारा
भक्त तुम्हारी भक्ति करते, ‘लेते रहते नाम’-2
काम तो उनका करना पड़ेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा............।।5।।
वो रिश्तेदार होंगे करते रहते बड़ाई
तेरे हम कुछ न लगते, हमने की क्या बुराई
अपनो का सब साथ निभाते, ‘रखते उनका ध्यान’-2
जो है पराया किससे कहेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा...............।।6।।
गिरते को क्या गिराना, श्याम इतना बताओ
मजा तो तब आएगा, उसे आकर उठाओ
अब तो बिगड़ी बात बना दो ‘इसमें तुम्हारी शान’-2
बिगड़े हुए का क्या बिगड़ेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा...............।।7।।
गुनाह कर-कर के हारा श्याम तुमको पुकारा
जहाँ में जो है अकेला, उसे तेरा सहारा
दीन दुःखी का साथ निभा दो, ‘दे दो दया का दान’-2
मेरा भी बेड़ा पार लगेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा.......।।8।।
नाम जितना सुना है उतने दातार हो क्या
दयालु हो कितने तुम, फैसला आज होगा
अब तक केवल सुनते आए, ‘अब देखेंगे श्याम’-2
भरम हमारा आज मिटेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा................।।9।।
देख कर मुझको दर पे, श्याम शरमा गए क्या
मिली जो नजरें मुझसे, पसीने आ गए क्या
ये है परीक्षा तेरी बाबा, ‘सुन ले दे के ध्यान’-2
जो कुछ घटेगा तेरा घटेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा...............।।10।।
पाप की गठरी सर पे, लाल कर मैं हूँ लाया
बोझ कुछ हल्का कर दे, उठाने ना पाया
धर्म की राह बता ‘बनवारी’, हो जाए कल्याण’-2
इसमें तुम्हारा मान बढ़ेगा, तुम ना सुनोगे कौन सुनेगा...............।।11।।